-हमें महान् महापुरूषों के दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए : एसके आर्य
डबवाली।
शहर की अग्रणी संस्था आर्य समाज की ओर से रविवारीय साप्ताहिक हवन यज्ञ आर्य समाज के अध्यक्ष एसके आर्य के सानिध्य में यज्ञशाला में संपन्न हुआ। जिसमें यज्ञब्रह्मा का दायित्व आर्य समाज के प्रचार प्रमुख विजय कुमार शास्त्री ने निभाया जबकि मुख्य यजमान के तौर पर आर्य समाज के महामंत्री डॉ. रामफल आर्य ने आहुतियां डाली।
इस दौरान आर्य समाज के सक्रिय सदस्य महात्मा हंसराज जी एवं सिखों के 9वें गुरू श्री गुरू तेग बहादुर जी की जयंती पर विशेष आहुतियां डालते हुए उन्हें नमन् किया गया। इस मौके अध्यक्ष एसके आर्य ने उपस्थिति को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा हंसराज जी का जन्म 19 अप्रैल, 1864 को होशियारपुर में हुआ था। वह एक जून, 1886 को लाहौर में खोले गए डीएवी स्कूल के प्रथम प्रिंसिपल बने और निस्वार्थ भाव से जीवनपर्यंत अपने दायित्व का निर्वाह किया। एसके आर्य ने कहा कि कश्मीरी पंडितों व हिंदुओं की रक्षा के लिए श्री गुरू तेग बहादुर जी ने इस्लाम कबूल नहीं किया बल्कि अपना शीश कटवा दिया। भारतीय परंपरा में उन्हें हिंद की चादर कहा जाता है। उन्होंने आह्वान किया कि हमें ऐसे महान् महापुरूषों के दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए और समाज की सेवा हेतु तत्पर रहना चाहिए। इसके बाद विजय कुमार शास्त्री ने आर्य समाज के दस नियमों की चर्चा की, जबकि डॉ. रामफल आर्य ने ''हे प्रभु तुम शक्तिशाली हो बनाते सृष्टि को, वेद सब गाते तुम्हें कीजिए धन वृष्टि को।ÓÓ एवं ''सुखी बसे संसार सब दुखिया रहे न कोय, यह अभिलाषा हम सबकी, भगवन् पूरी होय।ÓÓ जैसे अर्थपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। इस मौके कोषाध्यक्ष व सम्पत्ति अधिकारी भारत मित्र छाबड़ा, वरिष्ठ सदस्य कुलदीप सिंह पटवारी, राज कुमार गर्ग लोहेवाले, एलआईसी के अभिकर्ता अमितराज मेहता, अनमोल मेहता, एलटी सुरेंद्र चंजोत्रा आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय प्रार्थना, जयघोष एवं शांतिपाठ के बाद प्रसाद वितरित किया गया।
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