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कोविड-19 के फर्जीवाड़े का मामला एकबार फिर पहुंचा प्रधानमंत्री के दरबार

Writer's picture: News Team LiveNews Team Live

डबवाली।

डबवाली में हुआ कोविड-19 के फर्जीवाड़ा का मामला कार्रवाई के लिए एकबार फिर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दरबार में पहुंच गया है। बतां दें कि इससे पहले भी प्रधानमंत्री कार्यालय के आदेश पर ही कोविड-19 की फर्जी रिपोर्ट तैयार करने के मामले की जांच हरियाणा-पंजाब के चिकित्सकों के बोर्ड द्वारा की गई थी। जिसमें पंजाब क्षेत्र की मंडी किलियांवाली में स्थित शिव पैथोलोजी लैब के संचालक शिव भगवान व वहां कार्यरत्त डा. गुरप्रीत कौर सेठी के खिलाफ फर्जी व गलत रिपोर्ट तैयार करने के आरोप में शहर के संघर्षशील व्यक्तित्व दीपक गर्ग ने धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत उक्त दोनों के खिलाफ जिला सिरसा के डबवाली शहर थाना में जीरो एफआईआर दर्ज करवाई थी। जिसके बाद एसपी सिरसा ने घटना स्थल पंजाब का होने के कारण इसे पुलिस अधीक्षक श्रीमुक्तसर साहिब को काईवाई हेतु भेज दिया था। जिस पर जांच उपरांत आरोपीयों के खिलाफ लंबी थाना जिला श्रीमुक्तसर साहिब में विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया था। कोविड-19 की दूसरी लहर में फर्जी व गलत रिपोर्ट के कारण अपने अभिभावकों को खो चुके पीडि़त दीपक गर्ग मामले में पुलिस एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई जांच से संतुष्ट नहीं होने के चलते पहले की तरह इस बार भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करवाने एवं मामले की सीबीआई जांच करवाने हेतु प्रधानमंत्री कार्यालय में दस्तक दी है। दीपक गर्ग ने कहा कि उन्होंने स्वास्थ्य विभाग एवं पुलिस प्रशासन को इस फर्जीवाड़े के मामले में सभी दस्तावेज तथ्यों सहित दोनों विभागों को सौंप चुके हैं लेकिन पुलिस प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जनसूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के आधार पर यह साबित हो चुका है कि शिव पैथोलोजी लैब द्वारा अन्य लोगों की भी कोविड-19 की गलत एवं फर्जी रिपोर्ट जारी की गई है। दीपक गर्ग ने प्रधानमंत्री से इस फर्जीवाड़े में पंजाब के स्वास्थ्य विभाग व अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। क्योंकि आरोपियों पर चिकित्सकों के जांचदल द्वारा दोषी ठहराए जाने एवं पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज होने के बावजूद भी लैब का लगातार संचालन कर रहे हैं जिससे अंदेशा होता है कि इन्हें कहीं न कहीं राजनीतिक या प्रशासनिक सरंक्षण प्राप्त है। इस मेडिकल फर्जीवाड़े की जड़े अन्य राज्यों में भी हो सकती है। क्योंकि यह एक विश्वव्यापी महामारी थी आरोपीयों ने पैसे के लालच में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ाई। मेडिकल लाइन में होने के बावजूद इनको पूरी तरह जानकारी थी कि उनके द्वारा किए गए फर्जीवाड़े से कोरोना महामारी फैल सकती है एवं लोगों की जानमाल को खतरा हो सकता है, लेकिन आरोपियों ने बैखोफ होकर सरेआम इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। आरोपी प्रभावशाली है इसलिए पुलिस एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक न तो मामले संबंधित कोई रिकॉर्ड कब्जे में लिया गया है और न ही लैब को सील किया गया है। अंदेशा है कि आरोपी संबंधित रिकॉर्ड व संबंधित उपकरणों को खूबर्द बुर्द कर चुके हैं। इसलिए दीपक गर्ग ने प्रधानमंत्री महोदय से इस मामले की जांच के लिए पहले की तरह की गई पैरवी के आधार पर इस मामले की सीबीआई से जांच करवाकर आरोपियों को सजा दिलवाने की मांग की है।



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