निकटवर्ती पंजाब क्षेत्र के गांव किलियांवाली में स्थित गुरू नानक कॉलेज में शुक्रवार को गणित विभाग द्वारा महान गणितज्ञ रामानुजन को समर्पित राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों की चल रही पंजाब यूनिवर्सिटी की सेमेस्टर परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए गूगल मीट पर वर्चुअल मोड में आयोजित कार्यक्रम में व्याख्यान देने के लिए रिसोर्स पर्सन के तौर पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब (बठिंडा) के गणित और सांख्यकी विभाग अध्यक्ष एसो. प्रो. डॉ. दीप सिंह विशेष तौर पर आमंत्रित थे। उन्होंने मुख्य विषय फंडामेंटल नंबर थिअरी एंड इट्स एप्लीकेशन इन क्रिप्टोग्राफी पर अपने विचार रखे। सर्वप्रथम मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए गणित विभाग अध्यक्षा डॉ. पायल सिंगला ने उनका परिचय करवाया। तदोपरांत उन्होंने दिवस की बधाई देते से करते हुए डॉ. सिंह ने अपनी पीपीटी प्रस्तुति के जरिये तीक्ष्णबुद्धि शख्स रामानुजन के जीवन वृत्तांत, उपलब्धियों व योगदान की चर्चा करते हुए बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 26 फरवरी, 2012 को मद्रास विश्वविद्यालय में भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्म की 125वीं वर्षगांठ के समारोह के उद्घाटन समारोह के दौरान 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। रामानुजन की रचनाएं 4 खंडों में प्रकाशित हुई। उनका विश्व गणित के क्षेत्र में सबसे बड़ा योगदान टैक्सीकेब संख्याओं के नाम से जाना जाता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संख्याएं ईश्वर की रचना मानी जाती है। संख्याओं की कई किस्में होती हैं जैसे सम, विषम, वर्ग, प्राईम आदि इनका क्रिप्टोग्राफी में काफी महत्वपूर्ण प्रयोग होता है। उन्होंने विभिन्न सरल उदाहरणों के जरिये संख्याओं की विशेषताओं व इनके बारे में प्रचलित विभिन्न सिद्धांतों, प्रमेयों (थ्यूरमस) एवं इनके बारे में विश्व में प्रचलित शंकाओंं/समस्याओं की चर्चा की। आज बढ़ती तकनीक के कारण क्रिप्टोग्राफी का प्रचलन बढ़ता जा रहा है तथा इसमें संख्याओं की ही सबसे अहम भूमिका है। कार्यक्रम के अंत में कांॅलेज प्रधानाचार्य डॉ. सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने डॉ. सिंह का धन्यवाद करते हुए श्रीनिवास रामानुजन जैसी महान हस्तियों को समर्पित ऐसे दिवसों को मनाने की सार्थकता एवं भारतवर्ष का गणित के क्षेत्र में योगदान विद्यार्थियों को स्पष्ट किया। गणित विभाग के इस प्रयास की सराहना करते हुए, उन्होंने विशेष तौर पर कहा कि छात्रों को गणित विषय को कठिन न समझते हुए दैनिक जीवन में इसकी व्यावहारिकता को समझने पर जोर देना चाहिए। कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग असि. प्रो. मानिक जिंदल ने किया। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में कुल 38 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
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