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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा डबवाली में भव्य कलश यात्रा

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा डबवाली के निवासियों को अध्यात्म, विज्ञान व भक्ति रस के आनंद से परिचित करवाने के लिए आयोजित की जा रही श्री कृष्ण कथा से पूर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गई। इस कलश यात्रा

बड़ी संख्या में सौभाग्यवती महिलाएँ पीताम्बर वस्त्रों में कलश लेकर चली। असंख्या सौभाग्य शाली स्त्रियों ने अपने सिर ऊपर कलश धारण किए और श्री कृष्ण कथा का संदेश शहर में सर्वत्र वितरित करते हुए व विश्व शांति की कामना का प्रचार, प्रसार करते हुए कथा स्थल पहुंचीं। तत्पश्चात् श्रीमद्भागवत महापुराण का पूजन किया गया। हमारे शास्त्रें में आता है कि कलश के अग्रभाग में देवताओं का निवास होता है एवं यह कलश हमारे मस्तिष्क में स्थित अमृृृत का प्रतीक है और यह यात्रा हमें संकेत करती है उस दिव्य अमृत को प्राप्त करने की ओर कलश में आम के पेड़ के पत्तों को रखा जाता है। आम का वृक्ष सदाबहार होने के साथ फल प्रदान करने वाला भी है। ठीक इसी प्रकार प्रभु की कथा सदाबहार है भाव युगों-युगों से चली आ रही हैं इतना ही नहीं यह कथा प्रभु की प्राप्ति का फल भी प्रदान करती है।भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। जो युगों-युगों से मानव जाति को लाभान्वित करता आ रहा है। श्री कृष्ण जो स्वत: ही अपने नाम को परिभाषित कर रहे है। श्री कृष्ण अर्थात जो चैतन्य, सौन्दर्य, ऐश्वर्य से युगत है, ये वो कृष्ण कथा है, जो हमारे जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है। जो हमारे जीवन को सुन्दर बनाती है, जो सिर्फ मृत्यु लोक में ही संभव है। यह एक ऐसी अमृत कथा है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इसलिए परीक्षित ने स्वर्गामृत की बजाए कथामृत की ही माँग की। इस स्वर्गामृत का पान करने से पुण्यों का तो क्षय होता है पापों का नहीं। किन्तु कथामृत का पान करने से उसे पूर्ण गुरु के द्वारा तत्व से अपने भीतर जान लेता है उसके संपूर्ण पापों का नाश होता है।


दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा कम्यूनिटी हॉल नजदीक गौशाला डबवाली में इस ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ 9 नवंबर से 13 नवंबर तक सांय 6 बजे से लेकर 9 बजे तक होने जा रहा है। आध्यात्मिक जाग्रति के प्रसार हेतु श्री कृष्ण कथा का भव्य आयोजन संस्थान का एक विलक्षण प्रयास है। जिसमें प्रभु की अनन्त लीलाओं में छिपे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को कथा प्रसंगों के माध्यम से उजागर किया जाएगा। प्रतिदिन कथा का शुभांरभ भागवत पूजन व समापन पावन आरती से होगा। सर्व श्री आशतोष महाराज जी की शिष्या कथाव्यास सुश्री कालिंदी भारती कथा प्रसंगों के विलक्षण रहस्यों को आध्यात्मिक रहस्यों सहित प्रस्तुत करेगी। कथा के दौरन स्वामियों व साध्वियों द्वारा सुमधुर भजनों का गायन भी किया जाएगा।



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