वित्त मंत्रालय के मुताबिक नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के मौके पर 75 रुपये का एक विशेष सिक्का जारी किया । पीएम मोदी इस सिक्के को जारी करेंगे। 75 रुपये के सिक्के का वजन 35 ग्राम होगा। इसमें 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी कॉपर, और 5-5 फीसदी निकल और जिंक धातु का मिश्रण होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के अवसर 75 रुपये का सिक्का जारी करेंगे। सिक्के के एक तरफ अशोक स्तंभ का सिंह शीर्ष नजर आएगा तो वहीं ठीक उसके नीचे "सत्यमेव जयते" लिखा होगा। वहीं, बाईं ओर देवनागरी लिपि में "भारत" और दाईं ओर अंग्रेजी में "इंडिया" लिखा होगा।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के मौके पर 75 रुपये का एक विशेष सिक्का जारी किया जाएगा। पीएम मोदी इस सिक्के को जारी करेंगे। 75 रुपये के सिक्के का वजन 35 ग्राम होगा। इसमें 50 फीसदी चांदी, 40 फीसदी कॉपर, और 5-5 फीसदी निकल और जिंक धातु का मिश्रण होगा।
सिक्के पर होगी संसद की तस्वीर
जानकारी के मुताबिक इस सिक्के में रुपये का चिन्ह भी होगा और लायन कैपिटल के नीचे अंतरराष्ट्रीय अंकों में 75 का मूल्यवर्ग लिखा होगा। सिक्के का दूसरा पहलू संसद परिसर की तस्वीर को दिखाएगा, जबकि ऊपरी परिधि पर देवनागरी लिपि में 'संसद संकुल' और निचली परिधि पर अंग्रेजी में 'पार्लियामेंट कॉम्प्लेक्स' शब्द लिखे जाएंगे।
किसने तैयार किया ये सिक्का ?
इसके अलावा इस सिक्के पर संसद की तस्वीर के ठीक नीचे वर्ष 2023 लिखा होगा। इस सिक्के को भारत सरकार की कोलकाता टकसाल की ओर से बनाया गया है।
कब और क्यों जारी किए जाते हैं विशेष सिक्के?
सरकार की ओर से महत्वपूर्ण अवसर या किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने के लिए विशेष सिक्कों यानी स्पेशन कॉइन को जारी किया जाता है। इन्हें 'स्मारक' सिक्के भी कहा जाता हैं।
रेगुलर सिक्कों से कितने अलग?
सरकार की ओर से जारी किए जाने वाले ये स्पेशल सिक्के लीगल टेंडर नहीं होते हैं। इस कारण इनका प्रयोग लेनदेन के लिए नहीं किया जा सकता है। इसलिए ये विशेष सिक्के, रेगुलर सिक्कों से अलग होते हैं।
कल किया जाएगा नए संसद भवन का उद्घाटन
ज्ञात हो, प्रधानमंत्री मोदी रविवार को इस नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। यानी देश को नया संसद भवन मिलने जा रहा है। इसका निर्माण कार्य पूरा हो चुका है जिसका उद्घाटन 28 मई 2023 को होना तय किया गया है।
10 दिसम्बर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय संसद की नई इमारत का शिलान्यास किया गया था, जिसे ढाई वर्ष से भी कम समय में उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा कर लिया गया है। 28 मई को इसके उद्घाटन के साथ ही संसद का पुराना भवन प्राचीन धरोहर का हिस्सा बन जाएगा।
क्यों पड़ी नई संसद भवन की जरूरत ?
यहां यह जानना भी जरूरी है कि पुराने संसद भवन को बने करीब 100 वर्ष पूरे होने वाले हैं और उसकी मियाद यही तय की गई थी। दूसरे पुरानी संसद में सदस्यों के बैठने के लिए सीटों की संख्या सीमित है। संसद की नई इमारत में दोनों सदनों की सीटों की संख्या को बढ़ाया गया है ताकि भविष्य में लोकसभा और राज्यसभा में सीटें बढ़ने की स्थिति में किसी प्रकार की कोई परेशानी सामने न आए।
देश में 2026 में नए सिरे से लोकसभा सीटों के परिसीमन का कार्य होने की संभावना है, जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा की सीटें बढ़ना तय माना जा रहा है। लोकसभा में फिलहाल 545 सांसद हैं और मौजूदा लोकसभा में करीब 550 संसद सदस्यों के बैठने की ही जगह है। परिसीमन का कार्य होने के बाद सांसदों की संख्या मौजूदा 545 से बढ़ना निश्चित है।
माना जा रहा है कि यह संख्या 100 से 150 तक हो सकती है। सवाल है कि तब 150 से ज्यादा सांसद कहां बैंठेंगे? इसी प्रकार राज्यसभा की सीटें भी परिसीमन के बाद बढ़ सकती हैं। यही कारण है कि भविष्य की इन जरूरतों को पूरा करने के लिए नए भवन की जरूरत तो पड़ेगी ही ताकि सभी सांसद सहजता से अपना कामकाज कर सकें
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