-नवसंवत्सर पर महर्षि दयानंद सरस्वती ने की आर्य समाज की स्थापना : विजय कुमार शास्त्री
डबवाली।
शहर की अग्रणी संस्था आर्य समाज की ओर से नवसंवत्सर विक्रमी संवत् 2079 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2 अप्रैल, शनिवार को प्रात: 9 बजे आर्य समाज यज्ञशाला में पारंपरिक व सांस्कृतिक रीति-रिवाज के साथ हवन यज्ञ एवं वैदिक सत्संग का आयोजन आर्य समाज के अध्यक्ष एसके आर्य के सानिध्य में किया गया।
आर्य समाज के प्रचार प्रमुख विजय कुमार शास्त्री के ब्रह्मत्व में हुए हवन यज्ञ में भारत विकास परिषद के प्रांतीय संगठन मंत्री सतपाल जग्गा ने मुख्य यजमान के तौर पर शिरकत की और श्रद्धा एवं उल्लास से पूजा-अर्चना के साथ भारतीय नववर्ष पर हवन यज्ञ में आहुतियां डाली। यज्ञब्रह्मा विजय कुमार शास्त्री ने नवसंवत्सर पर महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा आर्य समाज की स्थापना किए जाने पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज का दिन अनेक विशेषताओं से भरा हुआ है। आज ही के दिन ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की स्थापना की गई थी, मां दुर्गा की उपासना का पर्व नवरात्रि का शुभारंभ, सम्राट विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत का आरंभ, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम एवं महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक दिवस, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष सर संघचालक केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिवस, भगवान श्री झूलेलाल का प्रकोटत्सव, गुरु अंगद देव का जन्म दिवस, वैसाखी पर किसानों द्वारा फसल काटने के साथ ही बसंत ऋतु का शुभारंभ भी होता है। इस मौके अध्यक्ष एसके आर्य ने हिंदू नववर्ष की शुभकामनाएं दी और आए हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। तदोपरांत वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. रामफल आर्य ने महर्षि दयानंद को समर्पित एवं नववर्ष के स्वागत में मधुर भजन प्रस्तुत किए। मुख्य यजमान सतपाल जग्गा ने कहा कि आज वैदिक हवन यज्ञ में भाग लेकर उन्हें बहुुत अच्छा लगा और समय-समय पर वह ऐसे आयोजनों में भाग लेते रहेंगे। इस मौके कोषाध्यक्ष एवं सम्पत्ति अधिकारी भारत मित्र छाबड़ा, वरिष्ठ सदस्य विजय कामरा, कुलदीप सिंह पटवारी, अमितराज मेहता, अनमोल, सुखदयाल चंजौत्रा, पनमेश्वरी देवी व भाविप के पूर्व प्रधान गुरदित्त कुमार दुरेजा एडवोकेट, सचिव भजन मेहता, सुभाष मेहता, सुनील जिंदल, टीकम चंद जग्गा, प्रकाश मेहता ने यज्ञ में आहुतियां डाली। वैदिक प्रार्थना, जयघोष एवं शांतिपाठ के बाद प्रशाद वितरित किया गया।
प्लस फोटो : 2डी1-हवन यज्ञ में आहुतियां डालते मुख्य यजमान व आर्यश्रद्धालु।
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