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पंजाब में आप की सरकार बनी है, तब से राज्य का माहौल खराब पंजाब में जातीय हिंसा कभी नहीं: सुखबीर बादल


शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के नेतृत्व में अकाली नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को पंजाब के राज्यपाल बीएल पुरोहित से मिला। अकाली नेता सुखबीर बादल ने कहा कि दो अहम मुद्दों को लेकर राज्यपाल को मिले। जब से पंजाब में आप की सरकार बनी है, तब से राज्य का माहौल खराब होने लगा है। पंजाब में जातीय हिंसा कभी भी नहीं हुई। सरकार अपनी कमियां छिपाने लगी है। पटियाला में जो जातीय हिंसा हुई है, वह सीरियस है 4 दिन पहले खुफिया एजेंसी ने बता दिया था कि पंजाब में हिंसा होने वाली है। घटना के बाद भी सीएम ने बयान नहीं दिया। राघव चड्‌डा ने बयान दिया, जो केजरीवाल के हुक्म पर दिया गया। वे पंजाब में फूट डालना चाहते हैं। वे गैर जिम्मेदराना बयान दे रहे हैं। कभी परवाना का नाम ले रहे हैं। इस हिंसा में आप सरकार का हाथ हो सकता है। पंजाब बॉर्डर स्टेट है, इसमें अमन शांति होनी चाहिए। इसकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से होनी चाहिए। नहीं तो देश और पंजाब का बड़ा नुकसान होगा।

गोपनीयता की शपथ ली जाती है


सुखबीर बादल ने कहा कि सरकार बनाते समय मंत्री गोपनीयता की शपथ लेते हैं, परंतु केजरीवाल ने पंजाब को चलाना शुरू कर दिया, अफसर लगाने शुरू कर दिए। मीडिया में यह बात आई तो एमओयू दिल्ली के साथ कर लिया। आपस में एक्सचेंज करेंगे, जो फैसले केजरीवाल ने करने हैं, इस पर सवाल न उठाए, इसलिए यह एमओयू साइन किया। हमने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि इस पर लीगल राय लेकर सरकार के खिलाफ एक्शन लिया जाए।


क्योंकि पंजाब के अफसर दिल्ली जाते हैं तो ऐसे में भगवंत मान पंजाब का सीएम नहीं है, केजरीवाल है। पंजाब के मामलों पर बयान भगवंत मान को देना चाहिए, परंतु केजरीवाल दे रहा है, वह कौन होता है? इसका यह मतलब नहीं है कि पंजाबियों पर कोई बाहर से आया व्यक्ति राज करे। हमने राज्यपाल से पटियाला हिंसा की जांच सीबीआई से कराने, संविधान की उल्लंघना करने पर आप सरकार को बर्खास्त करन की मांग की है।पटियाला में कुछ दिन पहले शिव सेना ने खालिस्तान विरोधी मार्च निकाला। इसके विरोध में कट्‌टरपंथी सिख संगठनों ने उनका विरोध किया। इस दौरान काली माता के मंदिर में दोनों पक्षों में पथराव हुआ। पुलिस ने हवाई फायरिंग भी की। इस दौरान पुलिस कर्मचारी घायल हुए। पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में करीब 9 लोगों को गिरफ्तार किया और कई के खिलाफ उपद्रव का मामला दर्ज किया। पंजाब सरकार ने हिंसा रोकने में नाकाम रहने पर एसएसपी और आईजी का तबादला कर दिया।

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