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पंजाब में मुरझाए ‘कमल’ को फिर से खिलाने के लिए BJP का ‘जाखड़ प्लान’


जालंधर

पंजाब भाजपा में आज का दिन बेहद खास है, क्योंकि पार्टी में पहली बार किसी ऐसे नेता को अध्यक्ष बनाया गया है जो एक साल पहले ही पार्टी में शामिल हुआ है। सुनील जाखड़ को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाना वैसे तो काफी हैरानी भरा रहा, क्योंकि जाखड़ के अलावा भाजपा में कई वरिष्ठ अन्य नेता भी थे, जो इस पद के लिए पूरी तरह से योग्य थे, लेकिन इन सबको दरकिनार कर पार्टी ने जाखड़ को जिम्मेदारी सौंपी।




जाखड़ के अध्यक्ष बनने के बाद पंजाब में भाजपा एकाएक टॉप पर आ जाएगी, अगर कोई ऐसा सोच रहा है तो शायद यह इतना आसान नहीं है। खुद जाखड़ के लिए पंजाब भाजपा अध्यक्ष का पद चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि पंजाब में पूरी तरह से फिसड्डी हो चुकी भाजपा को लोकसभा चुनावों में अव्वल बनाना इतना आसान नहीं है और बड़ी समस्या यह है कि इसकी तैयारी के लिए करीब 7 महीने का समय ही रह गया है। एक चर्चा थी कि भाजपा जाखड़ को उनके कद के मुताबिक किसी बड़े ओहदे से जरूर नवाजेगी। हालांकि उन्हें राष्ट्रीय कार्यसमिति और प्रदेश कोर ग्रुप का सदस्य बनाया गया था। अब चुनावी साल में भाजपा द्वारा उन्हें पंजाब का प्रधान बनाने से प्रदेश की राजनीति में उनका कद बढ़ गया है।


पुराने वर्करों से तालमेल

जाखड़ क्योंकि कांग्रेस से आए हैं। मई 2022 में उन्होंने भाजपा ज्वाइन की थी और एक साल बाद उन्हें अध्यक्ष बना दिया गया। इस एक साल के दौर में उन्हें शायद यह अहसास नहीं था कि वह पार्टी की प्रदेश इकाई की कमान संभालेंगे। अभी तक की स्थिति के अनुसार उनका वर्करों के साथ कोई बहुत अच्छा तालमेल नहीं है। उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि उन्हें वर्करों में अपने प्रति विश्वास कायम करना होगा। जाखड़ से पहले के भाजपा के कितने ही अध्यक्ष इस मामले में असफल रहे, जिसके कारण भाजपा का अधिकतर वर्कर घरों में बैठ गया। उन्हें घरों से निकालकर पार्टी के साथ दोबारा जोडऩा जाखड़ के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

2024 का लोकसभा चुनाव

पंजाब में हाल ही में जालंधर के लोकसभा उपचुनाव में भाजपा ने जिस तरह से ताकत झोंकी, उससे यह बात साबित हो गई कि पार्टी पंजाब में खुद को स्थापित करने के लिए बेहद सीरियस है। 2024 के लोकसभा चुनावों में सफलता हासिल करने के लिए पार्टी ने जाखड़ के तौर पर एक एक्सपैरीमैंट किया है। जाखड़ के पास कांग्रेस में अध्यक्ष रहते पार्टी चलाने का अनुभव तो है, लेकिन क्या वह उस अनुभव को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए इस्तेमाल कर पाएंगे, इस बात को लेकर अभी स्थिति कुछ साफ नहीं है। 13 लोकसभा उम्मीदवारों का चयन सबसे बड़ी चुनौती है और फिर उन्हें सफल बनाना दूसरी बड़ी चुनौती जाखड़ के लिए है।



गांवों में सेंध लगाना

पंजाब में भाजपा ने 2022 से पहले लगभग सभी लोकसभा व विधानसभा चुनाव अकाली दल के साथ मिलकर लड़े हैं। ऐसे में गांवों की वोट अकाली दल के खेमे में जाती रही है, जबकि भाजपा शहरों से वोट लेती रही है। लेकिन अब भाजपा जब अकेले चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही है तो ऐसे में गांवों में वोट बैंक हासिल करना सबसे बड़ी चुनौती है। जालंधर के लोकसभा उपचुनाव में भी पार्टी का मुख्य लक्ष्य गांवों का वोट बैंक ही था, लेकिन स्थिति यह हुई कि गांवों के चक्कर में शहरी वोट बैंक भी हाथ से जाता दिखा और पार्टी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई।

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