भारतीय किसान यूनियन चढूनी के राष्ट्रीयाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि लगभग 10 मास पूर्व जब किसान आंदोलन वापस हुआ तो केंद्र सरकार ने वायदा किया था कि रेलवे से संबंधित किसानों पर जो मुकद्दमे आंदोलन दौरान दर्ज हुए वह वापस लिए जाएंगे लेकिन दुख की बात है कि किसानों को अब सम्मन आ रहे हैं और रेलवे पुलिस किसानों पर अकारण दबाव बना रही है जो अनुचित है। उन्होंने केंद्र सरकार से 15 दिन के अंदर स्थिति स्पष्ट करने को कहा अन्यथा चेतावनी दी कि हरियाणा व पंजाब के किसान ट्रेनें रोकेंगे और जिम्मेदारी सरकार की होगी, उस सूरत में सरकार चाहे लाठी-गोली मारे। वह किसानों को लावारिस नहीं छोड़ सकते। उनका संगठन दोबारा आंदोलन चलाने को मजबूर होगा। उन्होंने हरियाणा व पंजाब के किसानों से भी आह्वान किया कि अगर सरकार तुरंत केस वापस नहीं लेती तो रेलवे लाइनें जाम करने को तैयार रहें। वह अपने संगठन की ओर से सरकार को पत्र लिखकर भी अवगत करवा रहे हैं। उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा बारे कहा कि वह भी लंबित विषयों को लेकर अपना दायित्व नहीं निभा रहा है, चाहे एम.एस.पी. का मामला या मुकद्दमे वापस लेने या फिर लखीमपुर कांड का हो। संयुक्त किसान मोर्चा को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
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