
न्यूज टीम लाइव डबवाली।
आबादी से दूर नदी के छोर पर किसी समय में अपनी खूबसूरती से पर्यटकों का दिल जीतने वाला पर्यटक स्थल काला तीतर आज अपने ही वजूद की लड़ाई लड़ रहा है। भले ही वक्त के साथ जहां से पशु पक्षियों का कलरव समाप्त हो गया हो लेकिन आज भी ये पर्यटक स्थल ये आभास करवाता है कि कभी मुझे देखने के लिए हरियाणा, पंजाब व राजस्थान से पर्यटकों के अलावा अनेक राजनीतिक हस्तियां भी आती थी। हम बात कर रहे हैं डबवाली उपमंडल के गांव अबूबशहर व सुकेराखेड़ा के मध्य इंदिरा केनाल के छोर पर बने प्रदेश के प्रख्यात पर्यटक स्थल काला तीतर की। जिसका निर्माण करीब 44 वर्ष पूर्व चौधरी देवीलाल ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए करवाया था। जिसे देखने के लिए दूर दराज से पर्यटक आते थे। आज ये स्थिति है कि 8 एकड़ क्षेत्र में फैला ये पर्यटक स्थल खंडहर होकर गिरने की कगार पर खड़ा है जो कभी भी भाखड़ा नहर में गिर सकता है। मौजूदा समय में ये पर्यटक स्थल नहरी व ङ्क्षसचाई विभाग के पास है। कभी पक्षियों का मनोहरम कलरव तो कभी शेर की गरजना वाले इस स्थल को बंदरों के झुंड ने अपना बसेरा बना रखा है तो वहीं दिन के समय भेड़ बकरियों के झुंड को यहां पर आश्रय लेता देखा जा सकता है।
उत्सुकता उत्पन्न करती है हर वस्तु
इस स्थल के आगे से डबवाली जाने के लिए मुख्य मार्ग निकलता है जिस पर से हर रोज सैकड़ों लोग गुजरते हैं जो इधर देखते तक नहीं लेकिन पहली बार गुजरने वाला शख्स कुछ क्षण यहां रूक कर ये जरूर सोचता है कि आखिर इन झाडिय़ों में ये आलीशान इमारत को किसने बनवा दिया। इसके अलावा देखने वाले के मन में यहां की हर चीज एक सवाल पैदा करती है। जब ये स्थल बन कर तैयार हुआ तो यहां पर इतनी सुविधाएं हुआ करती थी कि पर्यटक अनायास ही इधर खींचे चले आते थे। यहां पर एक मिनी चिडिय़ाघर भी स्थापित करवाया गया था, जिसमें शेर, चीता, बंदर, भालू, मगरमच्छ व अनेक पशु-पक्षी अपनी आवाजों व कलरव से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते थे। खूंखार शेर, चीता आदि को बड़े-बड़े ङ्क्षपजरों में रखा जाता था, जबकि मगरमच्छों के लिए भाखड़ा नहर के पानी को एक जगह एकत्र करके उसमें रखा जाता था।
बड़ी हस्तियां भी आ चुकी हैं यहां
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यहां कई वर्षों पूर्व तीज का मेला लगा था, जिसमें कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां जिनमें मेनका गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी ङ्क्षसह, चंद्रशेखर, चौधरी देवीलाल आदि नेताओं के अलावा मशहूर कलाकारों ने यहां उपस्थिति दर्ज करवाई थी।
खंडहर में तबदील होकर रह गए आलीशान भवन
लंबे समय से खाली पड़े रहने व देख-रेख के अभाव में ये भव्य इमारतें खंडहर बन कर रह गई है। हर तरफ झाडिय़ां व उनमें बने अलग अलग कमरे आज भी अपनी याद संजोए खड़े हैं जहां स्थल में आज भी इसके सुविधा संपन्न होने के उदाहरण मौजूद हैं। यहां पर बंदरों ने अपना बसेरा बना रखा है तो दोपहर के समय यहां चरवाहे भेड़ बकरियां रखते हैं। भाखड़ा नहर के ऊपर बने इस स्थल के नीचे के पिलर खिसकने शुरू हो गए हैं जिसके चलते ये पर्यटक स्थल कभी भी ढह सकता है।
ये रहे बंद होने के कारण
इस काला तीतर नामक पर्यटन स्थल का निर्माण तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने करीब 1977 में करवाया था। जिसके बाद ये 1989 तक तो चलता रहा परंतु सत्ता परिवर्तन होने के बाद किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, हालांकि उसके बाद कई पार्टियां सत्तासीन होकर चली गई। बताया जाता है कि धीरे-धीरे राजनीतिक कारणों के चलते ये उपेक्षा का शिकार होकर रह गया, जबकि इनेलो के पुन: सत्ता में आने के बाद भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। बताया जाता है कि चौधरी देवीलाल ने इसका निर्माण इसलिए भी करवाया था कि क्षेत्र में एक सुंदर पर्यटक स्थल हो जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हो। दूसरा इसी जगह पर क्षेत्र की भाखड़ा नहर राजस्थान कैनाल के नीचे से होकर गुजरती है, जहां ये स्थल शोर-शराबे से दूर रमणीक होने के कारण पर्यटक कई-कई दिन तक रह कर प्रकृति का भरपूर नजारा उठाते थे।
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