उड़ीसा के महामहिम राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने कहा कि धरती मां को कोई रुप अगर पृथ्वी पर है तो वह मां हैं और मां में सारी सृष्टि समाई हुई है। धरती हमें अपनी गोद में बिठाकर हमें खाना खिलाती है। हमारी सेवा मां के तरह करती है। पद कभी भी मायने नहीं रखता, व्यक्ति की छवी, उसका व्यवहार और उसकी कार्यशैली मायने रखती है।
वे रविवार को स्थानीय रॉयल हवेली में हारे का सहारा चैरिटेबल ट्रस्ट के सौजन्य से स्व. श्रीमती सुशीला देवी व स्व. श्रीमती ललिता देवी की पुण्य स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने 50 महिलाओं को सिलाई मशीन, 200 जरूरतमंद व्यक्तियों को गर्म कपड़े, बीमार जरूरतमंदों को ईलाज के लिए दो लाख रुपये के चैक, गांव शेरपुरा में गौशाला के शेड निर्माण के लिए 5 लाख रुपये, गौवंश अस्पताल में बीमार पशुओं की सेवा के लिए साढ़े छह लाख रुपये की लागत की ट्रैक्टर ट्रॉली भी भेंट की।
राज्यपाल गणेशी लाल ने कहा कि जरूरतमंदों की सहायता व सेवा करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि हमें आत्मिक सुख भी मिलता है। हारे का सहारा ट्रस्ट की ओर से समाज सेवा के अनेक कार्य किए जा रहे हैं। जरूरतमंदों की सहायता करना ही ईश्वर की सेवा करना है। जरूरतमंद एवं गरीबों की सहायता करने से न केवल भगवान का आशीर्वाद मिलता है बल्कि स्वयं को आत्मिक शांति भी मिलती है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति चला जाता है लेकिन उनका प्यार-प्रेम सदैव हमारी स्मृतियों में रहेगा। शरीर नश्वर है, लेकिन शरीर के जाने के बाद व्यक्ति के विचार अमर रहते हैं। विचारों व व्यवहार के कारण ही व्यक्ति की स्मृतियां आजीवन बनी रहती हैं। यदि सामाजिक कार्यों की श्रृंखला निरंतर जारी रही तो उसके परिणाम बहुत ही सराहनीय रहेंगेे और अनेक जरूरतमंद लोगों को भला होगा।
राज्यपाल ने कहा कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किया गया छोटा सा सहयोग भी असहाय व गरीब व्यक्ति के जीवन को बदल सकता है। इसलिए जितना हो सके अपने आसपास रहने वाले असहाय व गरीब व्यक्ति की सहायता अवश्य करें। उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि वे ऐसी संस्थाओं का सहयोग करें, ताकि संस्थाओं के माध्यम से अधिक से अधिक असहाय बच्चों व व्यक्तियों के जीवन में बदलाव आ सके, जिससे वे समाज की मुख्यधारा में जुड़ सकें। इस अवसर पर समाजसेवी मनीष सिंगला व राज्यपाल के निजी सचिव डा. विनोद स्वामी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
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