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शीतकालीन अवकाश में पढ़ाई के नाम पर गैर शैक्षणिक कार्यों को पूरा करवाने की कवायद :- कृष्ण कायत


शीतकालीन अवकाश में बोर्ड कक्षाएं लगाकर पढ़ाने के नाम पर स्कूल खोलने की आड़ में सरकार का असली मकसद पीपीपी डाटा टैगिंग रूपी सांप पिटारे से बाहर आ गया है । गौरतलब है कि शिक्षा विभाग वैकेशन विभाग में आता है अर्थात यहां पर वर्ष में निर्धारित अवकाश निश्चित होते हैं जिस दौरान कर्मचारियों को कार्यों से छुट्टी मिलती है । इसकी एवज में शिक्षा विभाग में सप्ताह में छह दिन का कार्यदिवस होता है जबकि नान-वैकेशन विभागों में सप्ताह में पांच दिन का कार्यदिवस होता है । इसी प्रकार नान-वैकेशन विभागों में जहां कर्मचारियों को एक वर्ष में तीस दिन का अर्जित अवकाश मिलता है वहां शिक्षा विभाग में अध्यापकों को मात्र दस दिन का ही अर्जित अवकाश मिलता है । यही कारण है कि स्कूल कैलेण्डर में अन्य अवकाशों के अतिरिक्त ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन अवकाश पहले से ही निर्धारित होते हैं । कुछ वर्षों पहले तक स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश 40 से 45 दिन तक होते थे ( अमूमन 25 मई से 10 जुलाई तक ) । इसी प्रकार अप्रैल में लगभग 10 दिन फसली अवकाश होते थे व 5 से 7 दिन तक त्यौहारी अवकाश अर्थात दीपावली के समय छुट्टियां घोषित थीं । बाद में शिक्षा विभाग ने इन सभी अवकाशों को सम्मिलित कर 30 दिन के ग्रीष्मकालीन अवकाश (1 जून से 30 जून) व 15 दिन शीतकालीन अवकाश (1 जनवरी से 15 जनवरी) में निर्धारित कर दिया । इसलिए शिक्षा विभाग में स्कूलों के लिए ये अवकाश स्कूल कैलेण्डर में पूर्व निर्धारित ही होते हैं इसलिए इनके लिए अलग से घोषणा या पत्र जारी करने की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन बहुत बार सत्ताधारी राजनेता/मंत्री श्रेय लेने के स्वार्थ वश ऐसी घोषणाओं के नाम पर राजनीति चमकाते रहते हैं । इस बार भी ऐसी ही घोषणाएं कर स्कूलों में शीतकालीन अवकाश करने का ढिंढोरा पीटा गया । नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा के निजीकरण हेतु लागू होने वाली 'चिराग योजना' के लिए अलग से निजी कंपनी द्वारा करवाए जा रहे सर्वेक्षण का जब मीडिया में भंडाफोड़ हो गया व विभिन्न संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जाने लगा तो सरकार ने चुपचाप गुप्त तरीक़े से पीपीपी डाटा टैगिंग की आड़ में अध्यापकों से ही सर्वेक्षण करवाने का षडयंत्र रच लिया । इसी डाटा टैगिंग कार्य को पूरा करवाने के लिए शीतकालीन अवकाश में बोर्ड कक्षाओं की पढ़ाई व परीक्षा की तैयारी के नाम पर स्कूल खोलने के तुगलकी फरमान जारी किए गए । संगठनों के विरोध के चलते रिवाइज्ड पत्र जारी कर अवकाश के दौरान स्कूल में पढ़ाने वाले अध्यापकों के लिए विभागीय नियमानुसार अर्जित अवकाश प्रदान किए जाने का लालीपाप थमा दिया गया है । विभागीय नियमानुसार अवकाश दौरान आधे से अधिक अवकाश रोके जाने या कार्य लिए जाने पर ही पूरी समयावधि के लिए अर्जित अवकाश देय होते हैं । विशेष गणना प्रावधान के तहत नियमानुसार अर्जित अवकाश दिए जाएं तो भी इस गणना अनुसार अधिकतर अध्यापकों के 5-7 से ज्यादा अर्जित अवकाश नहीं बनते हैं । फिर पंद्रह दिन की छुट्टियों के बदले पांच या सात दिन के अवकाश देना फरेब ही है । शीतकालीन अवकाश में पढ़ाई का सिर्फ ढ़ोंग रचा गया है वास्तव में अध्यापकों से डाटा टैगिंग कार्य पूरा करवाने के लिए ही यह कवायद की गई है जो कि विभिन्न जिला शिक्षा अधिकारियों द्वारा जारी पत्रों से स्पष्ट हो गया है । इन शीतकालीन अवकाश में ही यू-डाईस का कार्य पूरा करना है तथा नान स्टार्टर व ड्रापआउट बच्चों का सर्वे भी करना है । इन्हीं शीतकालीन अवकाश में टीजीटी, पीजीटी अध्यापकों की ट्रेनिंग पूरी करवानी है व लाईफ स्किल, एनएसएस इत्यादि शिविरों का आयोजन भी करना है । मजे की बात यह है कि छुट्टियों में स्कूल खोलकर पीपीपी डाटा टैगिंग करने के धमकी भरे आदेश जारी किए जा रहे हैं । आफलाइन कक्षाएं लगवाने में व्यस्त अधिकारियों को जब यह ध्यान आया कि विद्यार्थियों को टैब भी बांटे गए हैं तो आनन-फानन में टैब पर सभी विषयों के कम से कम पचास प्रतिशत पाठ्यक्रम का होमवर्क देने और स्कूल खुलने पर चैक करने के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं । जब आनलाईन टैब पर ही गृहकार्य करवाना था तो छुट्टियों में स्कूल क्या सिर्फ गैरशैक्षणिक कार्यों को पूरा करवाने के लिए ही खोले गए थे ? दूसरी बात यह है कि डाटा टैगिंग के लिए अध्यापकों को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है क्योंकि सभी सरकारी व निजी स्कूलों के विद्यार्थियों का संपूर्ण रिकॉर्ड आनलाईन एमआईएस पोर्टल पर उपलब्ध है उसे वहां से उठा कर भी टैगिंग की जा सकती थी । ....... रही बात , छह से अठारह आयुवर्ग के स्कूल से बाहर बच्चों की .... तो इसके लिए हर वर्ष स्कूलों द्वारा सर्वे करके संपूर्ण आंकड़े विभाग को भेजे ही जाते हैं ।

हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ एसटीएफआई एवं अन्य संगठनों के साथ मिलकर सार्वजनिक शिक्षा को बचाने के लिए सड़कों पर उतरकर संघर्ष करेगा । 15 मार्च से सरकारी स्कूलों में अधिकाधिक दाखिलों के लिए स्वयं के स्तर पर अभियान चलाएगा व सरकार की चिराग योजना के नाम पर शिक्षा संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने की चालों का पर्दाफाश करेगा ।

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