केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट में LGBTQ जोड़ों की उस याचिका का विरोध किया है जिसमें विभिन्न कानूनों के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए विभिन्न याचिकाओं की कार्यवाही के सीधे प्रसारण (लाइव स्ट्रीमिंग) का अनुरोध किया गया है। केंद्र ने कहा कि इन कार्यवाही का सीधा प्रसारण उचित नहीं प्रतीत होता क्योंकि इसमें तीखे वैचारिक मतभेद जुड़े हैं।
केंद्र ने कहा कि हाल के दिनों में ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पूरी तरह से 'सीधा प्रसारण' नहीं किया गया था लेकिन 'गंभीर अशांति' पैदा हुई और सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीशों के खिलाफ 'अनावश्यक' आरोप लगाए गए। केंद्र ने अपने ताजा हलफनामा में कहा कि यह सर्वविदित है कि वास्तव में न्यायाधीश सार्वजनिक मंचों पर अपना बचाव नहीं कर सकते हैं और उनके विचार व राय न्यायिक घोषणाओं में प्रकट होती हैं।
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