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साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से कर रहे ठगी, झज्‍जर एसपी के नाम का भी गलत ढंग से किया इस्तेमाल


साइबर ठग लोगों से ठगी करने के लिए अलग-अलग तरीके निकाल रहे हैं। ताकि लोग उनके झांसे में आ जाएं और ठगी का शिकार बन जाएं। साइबर ठगों ने फेसबुक हैक करके मदद के नाम पर रुपये ऐंठना भी शुरू कर दिया है। इसमें साइबर ठग पहले किसी की फेसबुक आइडी हैक करते हैं। इसके बाद उसकी फ्रेंड लिस्ट में जो लोग होते हैं, उनको मैसेज भेजते हैं। मैसेज में किसी के बीमार होने या फिर अन्य किसी जरूरत का बहाना बनाकर कुछ रकम मांगते हैं।

फेसबुक पर बात करते समय इस तरह मैसेज करते हैं कि सामने वाला भी उन्हें समझ नहीं पाता कि वह असली है या साइबर ठग। इसलिए कई बार मदद भी कर देते हैं। लेकिन जब जिसकी फेसबुक आइडी हैक हो रखी होती है, उससे मिलते है तो इस बात का पता चलता है। हालांकि इस तरह के ज्यादातर मामले पुलिस तक पहुंचते तक नहीं। इस तरह के ज्यादातर मामलों में जो रकम मांगी जाती है, वह लाखों की बजाय हजारों में होती है।

लाटरी के नाम पर भी हो रही जमकर ठगी

इधर, साइबर ठग लोगों को लाटरी या इनाम का झांसा देकर ठगी करते है। ठगी का शिकार बनाने वाले से पहले फोन पर बात करते हैं। बातों-बातों में उसकी जानकारी ले ली जाती है। इसके बाद उसे बड़ी लाटरी या इनाम का झांसा दिया जाता है। इसमें इनाम या लाटरी की राशि भी लाखों में रखते हैं, ताकि सामने वाला जल्दी इस राशि के चक्कर में उनकी झांसे में फंस जाए। इसके बाद उनके इनाम या लाटरी की राशि देने से पहले खुद कभी टैक्स आदि के रूप में ऐंठना आरंभ कर देते हैं।

शुरुआत में पीड़ित कुछ रकम साइबर ठगों के खाते में डलवा देता है। इसके बाद और भी रकम मांगते हैं, पीड़ित लाटरी या इनाम की राशि मिलने के चक्कर में खुद साइबर ठगों को रुपये देता जाता है। जब तक पीड़ित संभलता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है और उसे काफी घाटा भी हो चुका होता है। इसलिए लोगों को सावधान रहने की सलाह दी जाती है। साथ ही साइबर ठग परिचित बनकर लिंक भेजकर उसे ओपन करने की बात कहकर ठगी का शिकार भी बनाते हैं।

एसपी के नाम का भी गलत ढंग से हुआ इस्तेमाल

पिछले दिनों में झज्जर के एसपी वसीम अकरम के फोटो का इस्तेमाल गलत ढंग से होना सामने आया है। जिसमें आरोपित ने एसपी अकरम के फोटो को व्हाटस-एप पर लगाकर स्टाफ वगैराह की लोकेशन की पूछताछ भी की। ऐसे में स्टाफ सदस्यों को जब संदेह हुआ तो उन्होंने साइबर शाखा में संपर्क किया। मामले का पटाक्षेप होने के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई है। आरोपित तक पहुंचने के लिए प्रयास हो रहा है। इसके अलावा विभिन्न जिलों में तैनात पुलिस अधिकारियों के नंबर का गलत इस्तेमाल करते हुए भी उन्हें परेशान किया गया।

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