डबवाली
शिक्षा विभाग की तरफ से कुछ स्कूलों को मर्ज व इससे अध्यापकों की पोस्ट को समाप्त करने के समाचार के बाद गांव भारूखेड़ा के बच्चों व ग्रामीणों ने राज्यव्यापी आह्वान पर रोष प्रदर्शन किया और स्कूल की तालाबंदी की। इस मौके पर नरेश कुमार ने कहा कि हमारे गांव में राजकीय माध्यमिक विद्यालय में मुख्याध्यापक सहित अध्यापकों के छह पद स्वीकृत हैं जिनमें से विद्यालय में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक विज्ञान का कोई अध्यापक नहीं है। शिक्षकों की कमी के चलते कैसे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है। वर्तमान समय में विद्यालय के मुख्याध्यापक सहित तीन अध्यापक हैं, उनको भी सरकार हर दिन डाक, मिड डे मील व अन्य गतिविधियों में उलझाकर रखती है। जिस विद्यालय से विद्यार्थी NMMS 2018 -19 में सिलेक्ट हुआ हो, जिस स्कूल ने मैथ्स क्विज में जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया हो, जिस स्कूल की लड़कियां अंडर 19 क्रिकेट में जिले में प्रथम रही हों, जहां से नेशनल लेवल गोल्डमेडलिस्ट रही हो, कितनी शर्म की बात है कि उनको पढ़ाने के लिए सरकार के पास अध्यापक नहीं। ग्रामीण रवि सिंह ने कहा कि सरकार हर दिन जनविरोधी नीतियां लाकर सार्वजनिक ढांचे को समाप्त करने पर तुली हुई है। सरकार चिराग योजना के नाम पर एक तरफ तो सरकारी स्कूलों में फीस वसूल रही है और दूसरी तरफ निजी स्कूलों में पढ़ने पर पैसे दे रही है। यह सीधे तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण करने की साजिश है। ग्रामीणों ने हरियाणा में 105 स्कूलों को बंद करने के खिलाफ नारेबाजी करते हुए रोष प्रकट करते हुए कहा कि सरकार सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में सौंपना चाहती है। बच्चों ने बताया कि अध्यापकों की कमी के कारण हमारी पढ़ाई सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है। पढ़ाई ना होने के कारण घर वाले भी निजी स्कूलों में दाखिला करवाने पर मजबूर होंगे। इस मौके पर शंकर लाल, प्रवीण, संदीप, महेंद्र, विजय, विनोद, अजय, कृष्ण लाल, सुनील, रमन, जयदेव, विक्रम, मंजू, रानी, कलावती, कृष्णा, अनिता आदि उपस्थित रहे।
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