हरियाणा सरकार ने राज्य के लोगों को बड़ी राहत दी है। राज्य सरकार ने हाल-फिलहाल मुस्तरका मालिकान भूमि (शामलात भूमि) के निजी इंतकाल रद करने की प्रक्रिया को रोक दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का अनुपालन कराने की कड़ी में प्रदेश सरकार ने जिला उपायुक्तों को शामलात देह की जमीन का पंचायतों के नाम इंतकाल कराने संबंधी जो आदेश दिए थे, फिलहाल उन्हें भी वापस ले लिया गया है। हाईकोर्ट के निर्देश पर ऐसा किया गया है, लेकिन यह स्थायी प्रक्रिया बिल्कुल भी नहीं है। हालांकि फौरी तौर पर लाखों लोगों को सरकार के इस फैसले से राहत मिली है।
कोर्ट ने राजस्व विभाग के वित्तायुक्त के आदेश पर लगाई रोक, सरकार ने उपायुक्तों को भेजे आदेश वापस लिए
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार राज्य सरकार शामलात देह की जमीन का पंचायतों के नाम इंतकाल कर रही हैै। इसमें चिंता का कोई विषय नहीं है। सरकार महज इंतकाल बदल रही है, मलकीयत में कोई बदलाव नहीं हो रहा है। सरकार का मुख्य मकसद अवैध हस्तांतरण को रोकना है। इसलिए प्रदेश सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है।
वित्तायुक्त के आदेश पर रोक एक तात्कालिक राहत, यह स्थायी समाधान नहीं
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंचायत की कुछ शामलात देह भूमि के इंतकाल निजी लोगों के नाम हो रखे हैं। सरकार ने यदि इस पर ध्यान नहीं दिया तो वे जमीन को इसी प्रकार बेचते-खरीदते रहेंगे। अगर सरकार इसे नियंत्रित नहीं करेगी तो एक समय के बाद यह विषय सरकार के नियंत्रण से भी बाहर हो जाएगा।
सीएम ने कहा लोग चिंता न करें, सरकार इंतकाल बदल रही है, मलकीयत में कोई बदलाव नहीं
मनोहर लाल ने स्पष्ट करते हुए कहा कि नदी किनारे की जमीन की मलकीयत नदी के बहाव के कारण बदलती रहती है। इस जमीन को सही मालिक या हकदार को दिलाना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए सरकार जल्दी एक नया अधिनियम बनाएगी ताकि लोगों को उनकी जमीन का मालिकाना हक मिले।
मुख्यमंत्री का बयान आने से पहले विधानसभा में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस विधायक रेणुबाला के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि फिलहाल मुस्तरका मालकान भूमि पर निजी लोगाें के कब्जों की रजिस्ट्री व राजस्व रिकार्ड के इंतकाल रद नहीं किए जाएंगे। हाई कोर्ट ने राजस्व विभाग के वित्तायुक्त के आदेश पर रोक लगा दी है। वित्तायुक्त के आदेश से हरियाणा के हजारों-लाखों लोग परेशान घूम रहे थे।
मानसून सत्र में यह मुद्दा कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक, वरुण मुलाना और नीरज शर्मा ने भी उठाया। भाजपा विधायक लक्ष्मण यादव और लक्ष्मण नापा ने भी सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग रखी। कुछ विधायकों ने शून्यकाल में इस मुद्दे पर चर्चा की। पानीपत ग्रामीण के भाजपा विधायक महीपाल ढांडा ने तो यहां तक कहा कि उनके क्षेत्र के कई गांव देह शामलात जमीन पर बसे हैं। यह जमीन उन लोगों की है।
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सदन में रेणुबाला के अतारांकित प्रश्न के उत्तर में बताया कि मुस्तरका मालकान भूमि किसानों के कब्जे में है। सुप्रीम कोर्ट ने सात अप्रैल 2022 को इस भूमि काे निजी हाथों से वापस लेकर ग्राम पंचायत को सौंपने का आदेश दिया था। इसके बाद राजस्व विभाग के वित्तायुक्त ने 21 जून 2022 को एक आदेश जारी कर राज्य के सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश दिया कि निजी लोगों की इस मद की जमीन की रजिस्ट्री और इंतकाल रद किए जाएं।
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि हाई कोर्ट ने पांच अगस्त 2022 को राजस्व विभाग के वित्तायुक्त के आदेश पर रोक लगा दी है, इसलिए अब वित्तायुक्त निजी लोगों के इंतकाल रद नहीं करेंगे और उनके आदेश पर रोक लग चुकी है। दुष्यंत चौटाला ने कहा कि इस मामले में कानूनी राय लीजा रही है। हरियाणा ग्राम सामान्य भूमि अधिनियम 1965 में कानूनी राय के बाद संशोधन पर भी सरकार विचार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 1965 के कानून के आधार पर ही सात अप्रैल 2022 का आदेश दिया था।
क्या होती है मुस्तरका मालकान भूमि
जुमला मुस्तरका मालकान ग्रामीणों द्वारा व्यक्तिगत रूप से दान दी गई भूमि होती है। इस जनसामान्य भूमि का प्रबंधन पंचायत के हाथ में होता है। इस भूमि में ग्रामीणों को जनसुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।
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