इस साल त्योहारी सीजन में भी खाद्य तेलों की महंगाई से राहत मिल रही है। होली पर मांग बढ़ने के बावजूद खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही है। खाद्य तेलों के सस्ते होने की वजह विदेशी बाजार में इनके दाम घटने के साथ ही घरेलू तिलहन की पैदावार ज्यादा होना मानी जा रही है। पिछले साल इन दिनों सरसों तेल 165 से 170 रुपए लीटर बिक रहा था, जो अब घटकर 135 से 140 रुपए लीटर बिक रहा है। इसी तरह साल भर में रिफाइंड सोयाबीन तेल के दाम 140-145 रुपए से घटकर 115 से 120 रुपए लीटर और सूरजमुखी तेल के दाम 135-140 रुपए से घटकर 115 से 120 रुपए लीटर रह गए है।महीने भर में सरसों तेल 10 फीसदी, सोयाबीन तेल 3 फीसदी सस्ता हुआ है। साल भर में आयातित तेलों में कच्चे पाम तेल के दाम करीब 30 फीसदी गिरकर 95 रुपए लीटर और आरबीडी पामोलीन के दाम करीब 25 फीसदी घटकर 100 रुपए प्रति लीटर रह गए हैं।
विदेशी बाजारों में मंदी और घरेलू बंपर तिलहन फसल से सस्ते हुए खाद्य तेलभारत में खाद्य तेलों के दाम काफी हद तक विदेशी बाजारों पर निर्भर रहते हैं क्योंकि देश में इनकी खपत की पूर्ति के लिए बड़ी मात्रा में खाद्य तेल आयात किए जाते हैं। अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर कहते हैं कि ब्राजील व अर्जेंटीना में सोयाबीन और मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। जिससे विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम नरम पड़े हैं। इससे देश में आयातित तेल सस्ते हुए हैं।इसके अलावा देश में खरीफ सीजन में सोयाबीन की पैदावार ज्यादा थी और अब रबी सीजन में सरसों का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है। लिहाजा देश में तिलहन पैदावार बढ़ने से खाद्य तेलों की कीमतों में मंदी का माहौल बना है।
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