गुड़गांव
साल 2020 में शुरू हुए कोरोना संक्रमण का डर लोगों के मन में इस कदर बैठ गया कि वह घर से बाहर निकलने से ढ़रने लगे। संक्रमण से बचाव के लिए देश में लॉकडाउन भी लगाया गया। करीब 2 साल तक चली इस जंग के बाद लॉकडाउन को खोल दिया गया और जनजीवन सामान्य हो गया, लेकिन कोरोना का डर एक महिला के दिलों दिमाग पर इस कदर बैठा कि उसने ना केवल खुद को बल्कि अपने पति व बेटे को भी घर पर कैद कर लिया।
संक्रमण काल खत्म होने के बाद व्यक्ति तो घर से बाहर निकल आया लेकिन वह अपने बेटे और पत्नी को बाहर की दुनिया दिखाने में नाकामयाब रहा। पति किसी तरह बाहर निकल कर एक किराए का मकान लेकर रहने लगा। उसके बाद वह पत्नी और बेटे के लिए रोजाना ऑनलाइन खाना घर पर भिजवाने लगा। हालात यह हो गए कि ना केवल बच्चे की पढ़ाई छूट गई बल्कि उसका घर से बाहर निकलना बिल्कुल खत्म हो गया और उसकी दुनिया एक कमरे में सिमट कर रह गई। परेशान हो चुके पति ने अब पुलिस को सूचना देकर स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ अपनी पत्नी व बेटे को रेस्क्यू करवा कर अस्पताल में भर्ती कराया है।
पुलिस ने मां-बेटे को किया रेस्क्यू
सूचना मिलने के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची और महिला व उसके बेटे को रेस्क्यू किया। महिला का बेटा अब 11 साल का हो चुका है। पति ने बताया कि पिछले कुछ समय से उसकी पत्नी ने उसे घर पर नहीं आने दिया और ना ही बेटे से मिलने दिया। सुजन माझी ने जब बेटे को घर से बाहर निकालने के लिए और एग्जाम दिलाने के लिए कहा तो उसकी पत्नी मुनमुन ने इंकार कर दिया। यहां तक कि मुनमुन ने यह तक कह दिया कि यदि उस पर दबाव बनाया गया तो वह बेटे को मार देगी। उसने पुलिस को भी शिकायत दी थी लेकिन उस वक्त के हालात देखकर पुलिस को यह लगा कि यह पति पत्नी के बीच का आपसी झगड़ा है। ऐसे में यह झगड़ा घर पर ही सुलझाया जाना बेहतर होगा। हालात इतने बिगड़ गए कि सूजन माझी ने पुलिस के सामने बैठकर बेटे को वीडियो कॉल की और घर के हालात दिखाएं जिसके बाद पुलिस के होश उड़ गए। पुलिस और स्वास्थ विभाग की टीम ने मुनमुन और उनके बेटे को बाहर निकाला। डॉक्टरों की मानें तो कोरोना का डर महिला के दिमाग पर इतना असर कर गया कि वह मानसिक रोगी हो गई। रेस्क्यू किए जाने के बाद दोनों को सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी हालत को देखते हुए हायर सेंटर के लिए रेफर किया गया। फिलहाल दोनों की हालत स्थिर है।
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