चंडीगढ़ : हरियाणा चुनाव के तमाम एग्जिट पोल आ चुके हैं। सभी सर्वे में कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाती हुई नजर आ रही है। लेकिन कांग्रेस की जीत के हीरो कौन-कौन हैं, अब इस पर सियासी गलियारों में विश्लेषण हो रहे हैं। यह बात तो लोकसभा चुनाव के नतीजे और उसके बाद बने तमाम माहौल से लगने लगा था प्रदेश में भाजपा के प्रति जनता में भारी गुस्सा है और कांग्रेस के पक्ष में एक लहर का माहौल है। कुछ कांग्रेसियों का कहना है कि इस लहर की शुरुआत उस वक्त शुरू हुई जब कांग्रेस हाईकमान ने हुड्डा को फ्री हेंड देते हुए उनकी पसंद के उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बनाया।
भूपेंद्र हुड्डा ने की 75 और दीपेंद्र हुड्डा ने 85 से ज्यादा जनसभाएं व कार्यक्रम किए
कांग्रेस के विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम, हाथ से हाथ जोड़ो अभियान, जन मिलन समारोह, जन आक्रोश रैलियों में उमड़ी भीड़ संकेत दे रही थी कि इस बार लोग बदलाव के मूड में हैं। बात चुनाव की करें तो आखिरी लम्हों में जिस तरह राहुल गांधी ने एक के बाद एक रैली व रोड शो किए और प्रियंका गांधी ने जिस तरह राहुल गांधी का साथ दिया, उसने कांग्रेस की लहर को जबरदस्त मजबूती दी। चुनाव प्रचार में जुटे भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूरे हरियाणा में करीब 75 जनसभाएं की और दीपेंद्र हुड्डा ने 85 से ज्यादा जनसभाएं व कार्यक्रम किए। यहां तक कि दीपेंद्र हुड्डा फतेहाबाद, साढ़ौरा, कालका समेत कई ऐसे हलकों में भी गए, जहां शैलजा के चहेतों टिकट मिली थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी उचाना, साढ़ोरा, नारायणगढ़, असंध समेत कई सीटों पर सीटों पर कार्यक्रम करके अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे कि वह किसी भी सूरत में कांग्रेस के विधायकों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं। बेशक वह किसी भी गुट से आते हों।
सैलजा ने फिर भी करीब 10 से 15 सीटों पर प्रचार किया
चुनाव से पहले कु शैलजा ने प्रदेश में खूब कार्यक्रम विकार लेकिन टिकटों के बाइ उन्होंने कुछ दिन चुप्पी साध ली थी लेकिन बाद में वह भी प्रधार में जुट गई। कु शैलजा ने फिर भे करीब 10 से 15 सीटों पर प्रचार किया। इस दौरान भाजपा कोकांग्रेस के खिलाफ कैंपेन चलाने का अच्छा मुद्दा मिल गया। यहां तक भी भाजपाजे चर्चाएं शुरू कर दी कि कुमारी शैलजा कांतोस छोड़कर भाजपा के साथ जा सकती हैं। आखिरकार कुमारी शैलजा ने इस खबर पर विराम लगा दिया और उज्होंने कुछ जगहों पर कांतोस उम्मीदवारों के समर्थज में रैलियां की। एक वक्त पर तो भाजपा का पूरा कैपेज कुमारी शैलजा और अशोक तंवर के इर्द-गिर्द घूमता हुआ जजर आ रहा था और कांग्रेस को दलित विरोधी करार दिया जा रहा था। हालांकि, रेज जौके पर राहुल गांधी और भूपेंद्र हुड्डा ने तंवर को कांग्रेस में शामिल करके भाजपा को सबसे बड़ा झटका बेडाला और उसके वलित जैरेटिव को धराशाही कर दिया।चुनावी कैंपेन में रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने खुद को कैथल तक ही सीमित रखा
चुनावी कैंपेन में रणदीप सिंह सुर्जेवाला ने खुद को कैथल तक ही सीमित रखा और उन्होंने अपने बेटे को जीतने के लिपर पूरा जोर लगाए रखा। वरवात्रा में जरूर उनकी कुछ सक्रियता देखी गई। इन तमाम चुनावी और अंदरुनी उठा पटक के बीच वोटिंग हो चुकी है और अब सभी को नतीजे का बेलबों से इंतजार है। अब देखना यह है कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधता है। हालांकि जिस तरीके से दीपेन्द्र ने पूरे प्रदेश में ताबड-तोड प्रचार किया और खडतो से लेकर राहुल हा प्रियंका गांधी द्वारा उनकी पीठ थपथपाई गई तो ऐसे में उनके समर्थकों के हौसले बुलंद है।
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