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डंकी का डरावना सच: डोंकरों ने किडनैप कर हरियाणा-पंजाब के 2 युवकों की हत्या की, 8 माह बाद खुला राज

अमेरिका के डंकी रूट का खौफनाक सच एक बार फिर सामने आया है। हरियाणा के कैथल जिले के गांव मोहना निवासी 18 वर्षीय युवराज और पंजाब के दसुआ जिला होशियारपुर निवासी साहिब की डोंकरों ने किडनैप कर हत्या कर दी। दोनों युवकों की मौत की खबर परिजनों को आठ माह बाद मिली। मां-बाप को अपने बच्चों के शव तक नहीं मिले। कैथल के मोहना गांव में गुरुवार को युवराज की अंतिम अरदास की गई।

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युवराज के पिता कुलदीप सिंह और मां सरबजीत कौर का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि बेटे को अमेरिका भेजने के लिए उन्होंने जमीन पर लोन लिया और रिश्तेदारों से कर्ज लेकर 24 लाख रुपए एजेंटों को दिए थे। मगर एजेंटों और डोंकरों की मिलीभगत ने उनके इकलौते बेटे को मौत के मुंह में धकेल दिया। कुलदीप बोले, “जिस दिन बेटा गया था, उसी दिन से घर खाली हो गया था। अब खबर मिली कि उसकी मौत हो गई, लेकिन शव नहीं देखा तो यकीन नहीं होता। बेटे के सपनों की जिद ने हमें बर्बाद कर दिया।”

ग्वाटेमाला में बनाया गया था बंधक, पिस्टल की नौक पर दी गई धमकियां

युवराज के मामा हमराज ने बताया कि अक्टूबर 2024 में वह दिल्ली एयरपोर्ट से रवाना हुआ था। एजेंटों ने वादा किया था कि उसे कानूनी रास्ते से अमेरिका पहुंचाया जाएगा। लेकिन नवंबर में युवराज और साहिब को जहाज से दक्षिण अमेरिका के गुयाना पहुंचाने के बाद उन्हें जंगलों के रास्ते ग्वाटेमाला भेज दिया गया। वहां दोनों को बंधक बना लिया गया। 16 दिसंबर को डोंकरों ने परिवार से वीडियो कॉल पर धमकी दी — “20 हजार डॉलर नहीं भेजे तो दोनों को गोली मार देंगे।” उस वक्त दोनों के हाथ बंधे थे और उन्हें पिस्टल की नौक पर पीटा जा रहा था।

परिजनों ने एजेंटों को 8 लाख रुपए और दिए, मगर बच्चों को नहीं छोड़ा गया। इसके बाद डोंकरों ने कॉल बंद कर दी और एजेंट गायब हो गए। मार्च में पूंडरी थाने में केस दर्ज हुआ। पुलिस ने एजेंट नवजोत (दुसैन), नवनीत (हसनपुर, कुरुक्षेत्र) और देवेंद्र (संगोहा, करनाल) को गिरफ्तार किया, लेकिन उन्होंने भी सच्चाई नहीं बताई।

एक साल बाद मिला सबूत, अमेरिकी डोंकर ने मांगे तीन लाख रुपए और भेजी फोटो

करीब एक साल से परिवार अपने बच्चों की तलाश में था। आखिर अक्टूबर 2025 में अमेरिका में बैठे एक डोंकर “पोल” ने 3 लाख रुपए लेकर सच बताया — दोनों युवकों की फरवरी में ही ग्वाटेमाला में हत्या कर दी गई थी। उसने शवों की फोटो और स्थानीय मृत्यु प्रमाणपत्र भेजे। फोटो देखकर परिजनों ने पहचान की कि शव युवराज और साहिब के ही हैं।

एजेंटों पर हत्या की साजिश में मिलीभगत का शक

परिजनों का कहना है कि उन्होंने किडनैपरों के कहने पर 11 लाख रुपए एजेंटों को दिए, मगर एजेंटों ने पैसे डोंकरों को नहीं भेजे। डोंकरों और एजेंटों के बीच भारी लेनदेन का विवाद था। इसी वजह से बच्चों की हत्या कर दी गई। परिजनों ने कहा कि वे पूरा फिरौती पैसा देने को तैयार थे, पर एजेंटों ने न बच्चों को बचाया और न सच बताया। गांव मोहना में युवराज की अंतिम अरदास के दौरान पूरा गांव गमगीन रहा। पिता की आंखों में अब भी यह सवाल है, “हमने बेटे को अमेरिका नहीं, मौत के रास्ते क्यों भेज दिया?” सच्चाई यह है कि डंकी का सपना अब मौत की राह बन चुका है, जहां सपनों की कीमत ज़िंदगी से चुकानी पड़ती है।


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