Breaking News
top of page

इंसान पेट को ही भरना नहीं चाहता बल्कि पेटी भी भरना चाहता है: महासाध्वी मीना जी महाराज



ree

डबवाली


जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जयंती स्थानीय जैन स्थानक में वीरवार को जैन श्रद्धालुओं द्वारा श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कोकिलकंठी, जैन महासाध्वी श्री मीना जी महाराज ठाणे-5 व तेरापंथ महासाध्वी प्रांजल प्रभा जी महाराज ठाणे-4 के संयुक्त प्रवचनों का सभी ने लाभ उठाया। श्रद्धालुओं ने भगवान महावीर स्वामी के जन्म से संबंधित सुंदर संगीतमयी नाटिका प्रस्तुत की, कविताएं व भजन सुनाए तथा उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।  


अपने प्रवचनों में महासाध्वी मीना जी महाराज ने कहा कि भगवान महावीर स्वामी ने द्वारा दिए गए अहिंसा का सिद्धांत का मतलब है कि हमारे द्वारा मन से, वचन से एवं काया से किसी भी प्राणी को कष्ट नहीं पहुंचना चाहिए। किसी का दुख न दिखाना, किसी को कष्ट न पहुंचाना, यही महावीर स्वामी का संदेश है। दूसरा संदेश यह है कि अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण होना चाहिए। आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है लेकिन इच्छाओं की पूर्ति आज तक न किसी की हुई और न हो सकती है। इसलिए हमें इच्छाओं का गुलाम नहीं बनना, बस जीवन में आवश्यकताएं पूरी करनी है। हर मनुष्य की आवश्यकताएं सीमित होती हैं, खाने का रोटी चाहिए, पहनने को वस्त्र चाहिए और रहने के लिए मकान चाहिए जो कि आराम से पूरी हो सकती है। लेकिन इंसान पेट को ही भरना नहीं चाहता बल्कि पेटी भी भरना चाहता है। बस पेटी भरने के चक्कर में कितने ही अनर्थ कर डालता है। इंसान को यह समझना होगा कि जितनी भी धन संपति अर्जित कर लो, सब यही छोड़ कर चले जाना है। उन्होंने दान करते रहने के लिए भी प्रेरित किया और दान भी वहां करे जहां आवश्यकता हो। तीसरी बात है कि आपस में प्रेम व भाईचारे से रहें, भगवान ने हमें लडाई, झगड़े व दंगे-फसाद नहीं सिखाए। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के ये तीन सिद्धांत अपने जीवन में अपनाएं तो हमारा बेड़ा पार हो सकता है।  


महासाध्वी प्रांजल प्रभा जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान महावीर के अपरिग्रह को समझे बिना अहिंसा को भी नहीं समझा जा सकता। अहिंसा को जीवन में पूरी तरह उतारने के लिए अपरिग्रह पहला कदम है। जो व्यक्ति सभी प्रकार की परिग्रह भावना से मुक्त है, उसका मन शांत और स्थिर हो जाता है। अपरिग्रह के बिना अहिंसा को बनाए नहीं रखा जा सकता उन्होंने अहिंसा परमो धर्म नारे के बारे में विस्तार से श्रद्धालुओं को समझाया। महासाध्वी ने कहा कि इच्छा एक ऐसा वायरस है जो हमें भगवान महावीर के अहिंसा व अपरिग्रह के सिद्धांत को समझने नहीं देता। इसलिए सबसे पहले इच्छाओं को नियंत्रण में करे।


अंत में जैन सभा प्रधान सुभाष जैन पप्पी व तेरापंथ जैन सभा प्रधान बलदेव गर्ग ने कार्यक्रम में पहुंचे सभी श्रद्धालुओं का धन्यवाद किया। जयंती कार्यक्रम में कालांवाली, रानियां, संगरिया, संगत, बठिंडा, जैतों व अन्य शहरों के श्रद्धालुओं ने भी भाग लिया। मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।  

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating

NEWS TEAM LIVE

Subscribe Form

Thanks for submitting!

Vickey sirswal 8950062155 Sandeep Kumar 9872914246

Mandi Dabwali, Haryana, India

©2022-2024 by www.newsteamlive.in reserved all copyrights

bottom of page